Ad

Garlic Cultivation

लहसुन की खेती करे कमाल (Garlic Crop Cultivation Information )

लहसुन की खेती करे कमाल (Garlic Crop Cultivation Information )

लहसुन की खेती यूंतो समूचे देश में की जाती है लेकिन हर राज्य के कुछ चुनिंदा इलाके इसकी खेती के लिए जाने जाते हैं। यह एक कन्द वाली मसाला फसल है। इसकी कलियों को ही बीज के रूप में रोपा जाता है।  इसमें एलसिन नामक तत्व गंध और इसके स्वाद के लिए जिम्मेदार होता है। इसका इस्तेमाल गले तथा पेट सम्बन्धी बीमारियों में होता है। हर दिन लहसुन की एक कली खाने से रोग दूर रहते हैं। इसका उपयोग आचार,चटनी,मसाले तथा सब्जियों में किया जाता है। इसका उपयोग हाई ब्लड प्रेशर, पेट के विकारों, पाचन विकृतियों, फेफड़े के लिये, कैंसर व गठिया की बीमारी, नपुंसकता तथा खून की बीमारी के लिए होता है। इसमें एण्टीबैक्टीरियल तथा एण्टी कैंसरस गुणों के कारण बीमारियों में प्रयोग में लाया जाता है। इसकी खेती मुख्यत: तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश के मैनपुरी, गुजरात, मध्यप्रदेश के इन्दौर, रतलाम व मन्दसौर, में बड़े पैमाने पर होती है। 

यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश के किसान लहसुन के गिरते दामों से परेशान, सरकार से लगाई गुहार 

 लहसुन की खेती के लिए मध्यम तापमान ज्यादा अच्छा रहता है। छोटे दिन इसके कंद निर्माण के लिये अच्छे होते हैं। इसकी सफल खेती के लिये 29.35 डिग्री सेल्सियस तापमान 10 घंटे का दिन और 70% आद्रता उपयुक्त होती है 

भूमि का चयन

 

 किसी भी कंद वाली फसल के लिए भुरभुरी मिट्टी अच्छी रहती है। इसके लिये उचित जल निकास वाली दोमट भूमि अच्छी होती है।

लहसुन की उन्नत किस्में

 

 एग्रीफाउड व्हाईट किस्म करीब 150 दिन में तैयार होकर 140 कुंतल, यमुना सफेद 1 (जी-1) 150-160 दिनों में तैयार होकर 150-160 क्विन्टल, यमुना सफेद 2 (जी-50) 160—70 दिन में 140 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज देती हैं। जी 50 किस्म बैंगनी धब्बा तथा झुलसा रोग के प्रति सहनशील है। यमुना सफेद 3 (जी-282) किस्म 150 दिन में 200 कुंतल, यमुना सफेद 4 (जी-323) 175 दिन में 250 कुंतल तक उपज देती है। इनके अलावा भी अनेक किस्में क्षेत्रीय आधार पर ​विकसित हो चुकी हैं। इनके विषय में विस्तार से जानकारी हासिल कर किसान उन्हें लगा सकते हैं। लहसुन की बिजाई का उपयुक्त समय अक्टूबर से नवंबर माह होता है। 

बीज की बिजाई

 

 लहसुन की बुवाई हेतु स्वस्थ एवं बडे़ आकार की कलियों का उपयोग करें। इनका फफूंदनाशक दबा से उपचार अवश्य करें। ऐसा करने से कई तरह के रोग संक्रमण से फसल को प्रारंभिक अवस्था में बचाया जा सकता है। बीज 5-6 क्विंटल प्रति हैक्टेयर लगता है। शल्ककंद के मध्य स्थित सीधी कलियों का उपयोग बुआई के लिए न करें।  कलियों को मैकोजेब+कार्बेंडिज़म 3  ग्राम दवा के सममिश्रण के घोल से उपचारित करना चाहिए। लहसुन की बुआई कूड़ों में, छिड़काव या डिबलिंग विधि से की जाती है। कलियों को 5-7 से.मी. की गहराई में गाड़कर उपर से हलकी मिट्टी से ढकना चाहिए। बोते समय कलियों के पतले हिस्से को उपर ही रखते है। बोते समय कलियों से कलियों की दूरी 8 से.मी. व कतारों की दूरी 15 से.मी.रखना उपयुक्त होता है। 

खाद एवं उर्वरक

 

 लहसुन की खेती के लिए कम्पोस्ट खाद ​के अलावा  175 कि.ग्रा. यूरिया, 109 कि.ग्रा., डाई अमोनियम फास्फेट एवं 83 कि.ग्रा. म्यूरेट आफ पोटाश की जरूरत होती है। गोबर की खाद, डी.ए. पी. एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा यूरिया की आधी मात्रा खेत की अंतिम तैयारी के समय भूमि मे मिला देनी चाहिए। शेष यूरिया की मात्रा को खडी फसल में 30-40 दिन बाद छिडकाव के साथ देनी चाहिए। सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति हेतु 20 से 25 किलोग्राम माइक्रोन्यूट्रियंट मिश्रण मिट्टी में मिलाएं। 

सिंचाई प्रबंधन

कंद वाली ज्यादातर फसलों का बीज बोने के तत्काल बाद अच्छे अंकुरण हेतुु हल्की सिंचाई करें। तदोपरांत जरूरत और जमीन की मांग के अनुरूप पानी लगाएंं। जड़ों में उचित वायु संचार हेतु खुरपी या कुदाली द्वारा बोने के 25-30 दिन बाद प्रथम निदाई-गुडाई एवं दूसरी निदाई-गुडाई 45-50 दिन बाद करनी चाहिए। खरपतवार नियंत्रण हेतु प्लुक्लोरोलिन 1 कि.ग्रा. सक्रिय तत्व बुआई के पूर्व या पेड़ामेंथिलीन 1 किग्रा. सक्रिय तत्व बुआई बाद अंकुरण पूर्व 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें।

लहसुन की इन पांच किस्मों की बुवाई करके आप भी ले सकते है बेहतर उपज

लहसुन की इन पांच किस्मों की बुवाई करके आप भी ले सकते है बेहतर उपज

लहसुन की खेती करके किसानों को कम समय में अधिक पैसा मिल सकता है। लहसुन की फसल से ही किसान आसानी से दस से पंद्रह लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं। लेकिन लहसुन की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जाननी चाहिए। वास्तव में, लहसुन की खेती न तो अधिक गर्म न तो अधिक ठंडा सीजन में की जाती है। कुल मिलाकर, अक्टूबर-नवंबर का महीना लहसुन के लिए सबसे अच्छा है क्योंकि इस महीने में कम ठंड और कम गर्मी है। अगर आप भी लहसुन की खेती करना चाहते हैं तो आपको को ये भी पता होना जरुरी है कि किन किस्मों की बुवाई करके आप अच्छा मुनाफा कमा सकते है। यहां हम आपको लहसुन की टॉप पांच उन्नत किस्मों की जानकारी देंगे जो की अधिक पैदावार देती है।

लहसुन की टॉप पांच उन्नत किस्में कितनी पैदावार देती है 

किसान भाइयों आपकी जानकारी के लिए बता दी की लहसुन की ये टॉप पांच उन्नत किस्में 140-170 दिनों में तैयार हो जाती हैं, और साथ ही 125-200 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज देने में सक्षम हैं। बता दें कि लहसुन की इन पांच उन्नत किस्मों का नाम यमुना सफेद-2 (जी-50), टाइप 56-4 किस्म, जी 282 किस्म, सोलन किस्म और एग्रीफाउंड सफेद (जी-41) है। आइए अब इन किस्मों के बारे में विस्तार से जानते है।

ये भी पढ़ें:
लहसुन का जैविक तौर पर उत्पादन करके 6 माह में कमाऐं लाखों

लहसुन की टॉप पांच उन्नत किस्में

यमुना सफेद-2 (जी-50)-  लहसुन की इस किस्म का कंद काफी ठोस होता है और इसका गूदा क्रीमी रंग का होता है। इस किस्म की उपज 165-170 दिन में मिल सकती है और प्रति हेक्टेयर 130-140 क्विंटल उत्पादन देती है।

टाइप 56-4 किस्म-  पंजाब कृषि विश्वविधालय ने हुसन टाइप 56-4 किस्म विकसित की है। इस लहसुन की गांठें छोटी और सफेद होती हैं। इस किस्म में 25 से 34 कलियां हैं। यह प्रति हेक्टेयर 150 से 200 क्विंटल की उत्कृष्ट उपज देता है।

जी 282 किस्म- इस किस्म की लहसुन काफी सफेद रंग की होती है, जिसके गांठे बड़े-बड़े होते हैं. 282 किस्मों से किसान प्रति हेक्टेयर 175 से 200 क्विंटल उत्पादन कर सकते हैं। खेत में 140 से 145 दिन में यह किस्म पककर तैयार हो जाती है। 

ये भी पढ़ें:
लहसुन की पैदावार कितनी समयावधि में प्राप्त की जा सकती है

 

सोलन किस्म - हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय ने सोलन किस्म का लहसुन बनाया है। इस प्रकार की लहसुन बहुत मोटी होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सोलन लहसुन की किस्म अन्य किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादकता देती है।

एग्रीफाउंड सफेद (जी-41)-  इस किस्म की लहसुन के कंद में 20-25 कलिया होती हैं। यह खेत में 160-165 दिन में तैयार होकर बेचने के लिए तैयार हो जाती है। लहसुन की एग्रीफाउंड सफेद (जी-41) से किसान प्रति हेक्टेयर 125-130 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं।